पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा Lyrics

Song: Ram Darshan Pata Nahi Kis Roop Mein Aakar Narayan Mil Jayega
Artist: Narci, Prem Bhushan Ji Maharaj
Lyrics: Narci
Instrumentalist: Shanti Swaroop

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा Lyrics

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा,
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा,

साँस रुकि तेरे दर्शन को न दुनिया में मेरा लगता मन,
शराबी बनके बैठा हूँ मेरा श्री राम में अटका मन,

बेक़रार मेरे दिल को मैं कितना भी समझा लूँ,
राम दरस के बाद दिल छोडेगा ये धड़कन,

काले युग प्राणी हूँ पर जीता हूँ मैं त्रेता युग,
करता हूँ मेहसुस पलों को मन न वो देखा युग,
देगा युग काली का ये पापों के उपहार कई,

च एंड मेरा पर गाने का हर प्राणी को डेगा सुख,
हरी कथा का वक्त हूँ मैं राम भजन की आदत,

राम ाभरी शायर मिल जो रही है दावत,
हरी कथा सुन के मैं छोड़ तुम्हें कल जाऊंगा,

बाद मेरे न गिरने न देना हरी कथा विरासत,
पाने को दीदार प्रभु के नैं बड़े ये तरसे है,

जान सके न कोई वेदना रातों को ये बरसे है,
किसे पता किस मौके पे किस भूमि पे किस कोने में,
मेले में या वीराने में श्री हरी हमें दर्शन दे,

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा,
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा,
पता नहीं किस रूप में आकर

इंतज़ार में बैठा हूँ कब बीतेगा ये काला युग,
बीतेगी ये पीड़ा और भरी दिल के सारे दुःख,

मिलने को हूँ बेक़रार पर पापों का मैं भागी भी,
नज़रें मेरी आगे तेरे श्री हरी जायेगी झुक,

राम नाम से जुड़े है ऐसे खुद से भी न मिल पाये,
कोई न जाने किस चेहरे में राम हमें कल मिल जाये,

वैसे तो मेरे दिल में हो पर आँखें प्यासी दर्शन की,
शाम सवेरे सारे मौसम राम गीत ही दिल गए,

रघुवीर ये विनती है तुम दूर करो अंधेरों को,
दूर करो परेशानी के सारे भूखे शेरोन को,

शबरी बनके बैठा पर काले युग का प्राणी हूँ,
मैं जूथा भी न कर पाउँगा पापी मुह से बेरों को,

बन चूका बैरागी दिल नाम तेरा ही लेता है,
शायर अपनी सांसें ये राम सिया को देता है,

और नहीं इच्छा है अब जीने की मेरी राम यहाँ,
बाद मुझे मेरी मौत के बस ले जाना तुम त्रेता में,
राम के चरित्र में सबको अपने घर का अपने कष्टों का जवाब मिलता है,

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा,
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा,

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